आम जन मानस के लिए कई सवाल खड़े हो गए
एक शिक्षित परिवार का बच्चा, कैसे गुमराह होकर, जुर्म के दलदल में फस गया????

घटित हुई घटना के बाद, आम जन मानस के लिए कई सवाल खड़े हो गए है, एक शिक्षित परिवार का बच्चा, कैसे गुमराह होकर, जुर्म के दलदल में फस गया???? आज ये विषय विचार करने का है कि टेक्नोलॉजी के इस बदलते दौर में हम अपने बच्चो के कितने करीब है, बच्चे बाहर के परिवेश में कितने घूल मिल रहै है और उन पर उस परिवेश का कैसा असर हो रहा है, बच्चे सोशल मीडिया के किन प्लेटफार्म पर एक्टिव है और उस पर कोन कोन सी साइड ओपन कर रहे है ।
ऐसी कौन सी गैंग सक्रिय है जो इन लोगो तक अवैध हथियार भेज रही
इस बदलते माहौल में जहाँ बच्चो पर रोक टोक नही लगाई जा सकती वहिं उन्हें खुली आज़ादी देना भी उन्हें कोई नया दुर्लभ बना सकता है,ये सिर्फ एक नाम नही है अपने आप मे एक सिख बयान करने वाली कहानी उज्जैन वासियों के लिए बन गया है , कहते है बुरे का अंत बुरा ही होता है ,, शहर में आये दिन कम उम्र के बच्चे जिनकी उम्र 17 से 22 वर्ष की है चोरी करते या अवैध हथियार जैसे चाकू, पिस्टल या जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा रहे है, और अभी भी कई इन हथियारों के साथ समाज मे सक्रिय है। सवाल ये उठता है कि उज्जैन में ऐसी कौन सी गैंग सक्रिय है जो इन लोगो तक अवैध हथियार भेज रही पुलिस हिरासत में जाना पेपर में मीडिया में नाम आना और पुलिस द्वारा इनका जुलूस निकलना इनके इरादों को मजबूत कर रहा है क्योंकि आज कल के इन बच्चो की सोच में ये सब फेमस होना और लोगो मे अपने लिए भय व्याप्त करने से ज्यादा कुछ नही है।
जवानी की दहलीज पर कदम रखते बच्चों को देख मां बाप के सपनों के पंख लग जाते हैं
ये लोग जानते है कुछ दिन जेल में रह कर ये लोग जब अपने गृह क्षेत्र में जयंगे तो लोग इनसे डरने लगेंगे और यही सोच सामज में छोटी उम्र के लड़कों को बदमाश बनने के लिए प्रेरित कर रही है जवानी की दहलीज पर कदम रखते बच्चों को देख मां बाप के सपनों के पंख लग जाते हैं, मगर बदलते समय व हाई प्रोफाइल जीवन शैली के मोहपाश में युवाओं के कदम कॅरिअर की ओर मुड़ने की बजाय अपराध की दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं।
सामाजिक बदलाव का यह नजरिया युवाओं की अपराधों में बढ़ती संख्या से साबित होता है।
जानकारों की मानें तो इस उम्र में युवाओं के कदम अपराध की ओर बड़ना घातक है। ऐसे युवा आगे चलकर संगीन वारदातों को अंजाम देने में भी कभी कभी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में प्रो एक्टिव पुलिसिंग की जरूरत महसूस की जा रही है। युवा महंगे मोबाइल, बाइक्स, लैपटॉप जैसी कई सुविधाएं चाहते हैं। यही कारण् है कि वे इस तरह की अनावश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए चोरी व लूट जैसी वारदातों को अंजाम देते है।
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