निचले पदों पर कार्यरत डिप्लोमा धारियों को उपयंत्री, 28 वर्ष सेवा उपरांत सहायक यंत्री का पदनाम घोषित करने के साथ संविदा उपयंत्रियों को नियमित करने की मांग
उज्जैन। निचले पदों पर कार्यरत डिप्लोमा धारियों को उपयंत्री घोषित करो, 28 वर्ष सेवा उपरांत सहायक यंत्री का पदनाम घोषित करो, संविदा उपयंत्रियों को नियमित करो, इस तरह के नारों की तख्तियों को हाथों में लेकर इंजीनियरों ने कोठी पैलेस पर प्रदर्शन किया। म.प्र. डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने दो सूत्रीय मांगों को लेकर 4 सितंबर को उज्जैन सहित समूचे प्रदेश के 52 जिलों में मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन ज्ञापन सौंपा तथा मुख्यमंत्री को उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान की गई घोषणा की याद दिलाते हुए संगठन की अनार्थिक मांगों को पूरा करने के लिए वादा पूरा करने की मांग की गई।
उज्जैन जिला समिति अध्यक्ष राजेन्द्र चौबे ने बताया कि उपयंत्री संवर्ग सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति से संबंधित प्रकरण लंबित होने के कारण बिना पदोन्नति (एक भी पदोन्नति) के प्रतिमाह सेवा निवृत्त हो रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री ने तृतीय कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ उपयंत्रियों को जिनको कार्यपालन यंत्री के पद का वेतनमान 28 वर्ष सेवा पूर्ण करने पर मिल रहा है को सहायक यंत्री पदनाम देने का आश्वासन दिया था तथा कर्मीकल्चर समाप्त करने की घोषणा की गई थी। लेकिन प्रदेश के तकनीकी विभागों में हजार पद उपयंत्रियों के रिक्त होकर डेढ़ हजार उपयंत्री संविदा पर कार्य कर रहे हैं जिसमें संगठन ने ग्रा.यां. सेवा एवं पंचायत विकास विभाग से 500 पद पर संविदा उपयंत्रियों को जो रिक्त है नियमित करने की मांग की है। म.प्र. डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष राजेन्द्रसिंह भदौरिया, महामंत्री जेपी पटेल, रवीन्द्रसिंह कुशवाह के निर्देशन में आरके चौबे, संरक्षक पवन बैरागी, अतुल तिवारी, राजीव गायकवाड़, शैलेन्द्र शर्मा, सुनील शर्मा, देवेन्द्र राजपूत, विनोद बागड़ी, डीके श्रीवास, जावेद कुरैशी, एसपी श्रीवास्तव, गोठवाल, जाटवा, आकाश मंडलोई, दाहिमा, रायकवार, मुवेश, हरिओम गुप्ता, डीके श्रीवास्तव ने उक्त मांगों के साथ पीएचई में 26 पदों पर वर्कचार्ज में उपयंत्री कार्यरत हैं, उन्हें नियमित पदस्थापना में करने की मांग की तथा निचले पदों पर नियमित पदस्थापना में करने की मांग की गई। साथ ही निचले पदों पर नियमित स्थापना पर 10 वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों को जो डिप्लोमा होल्डर्स हैं शासन के नियमानुसार 5 प्रतिशत पद उनके लिए आरक्षित हैं उन्हें पदोन्नति पर रोककर प्रभारी उपयंत्री शासन स्तर से बनाने की प्रमुख मांग है।