स्वास्थ्य विभाग को दे रहा है गलत जानकारी
उज्जैन। हमेशा से सुर्खियों में रहे आरडीगार्डी मेडिकल कालेज उस समय चर्चा में सबसे अधिक आ गया जब कोरोना काल की शुरूआत हुई और राज्य शासन ने कोरोना मरीजों को भर्ती करने का अनुबंध आरडीगार्डी मेडिकल कालेज से कर लिया। बस फिर क्या था आरर्डीगार्डी के प्रबंधन ने इसका जमकर लाभ उठाया। बेवजह लोगों को कोरोना संक्रमित बताकर अस्पताल में भर्ती कर लिया ताकि शासन से अधिक से अधिक राशि वसूल की जा सकें। जब इसकी शिकायत बड़े स्तर पर हुई तो राज्य शासन और जिला प्रशासन भी हरकत में आया और अनुबंध समाप्त कर दिया। परंतु इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग कोरोना के मरीजों को आरर्डीगार्डी में भर्ती करवा रहे हैं।
जब अनुबंध ही समाप्त हो गया तो भर्ती क्यों करवा रहे है।
इस पर भी कई सवाल खड़े हो रहे है आम जनता को इन सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के जारी बुलेटिन के अनुसार मौत के आंकड़े 79 पर थमें हुए है। स्वास्थ्य विभाग यह बुलेटिन माधव नगर, पीटीएस, आरडीगार्डी और अमलतास से प्राप्त आंकड़ों पर ही जारी करता है। लेकिन यहां पर आरडीगार्डी ने भी एक कमाल कर दिखाया है। गुरूनानक मार्केट में एक महिला की मौत कोरोना पाजिटिव से हुई है। वहीं दुर्गा प्लाजा में निवास करने वाले एक व्यक्ति की भी मौत हो गई है। दुर्गा प्लाजा में निवास करने वाले जब अपना उपचार करवाने के लिए विभिन्न हास्पिटलों में भटके लेकिन किसी ने जब इनका उपचार नहीं किया तो आखिरकार आरडीगार्डी मेडिकल कालेज में भर्ती होना पड़ा अब आरडीगार्डी मेडिकल कालेज यह बताने को तैयार नहीं है कि इनकी मौत कोरोना से हुई है या नहीं जबकि पहले इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी।
अब यहां पर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरकार इनकी मौत की वजह क्या है।
इन दो मौतों को आखिरकार आरडीगार्डी ने क्यों छुपाया इस पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को कार्रवाई करना चाहिए। जब इस बात की चर्चा होने लगी तो आरडीगार्डी ने मौत के आंकड़ों को जारी किया। यह समझ के बाहर हो गया है कि जब कोरोना से मौत हो रही है तो इन आंकड़ों को छुपाने की आखिर तुक क्या है। यह बात आरडीगार्डी प्रबंधन भली भांती जानता है। सूत्रों का कहना है कि आरडीगार्डी मेडिकल कालेज के प्रबंधन ने एक भाजपा नेता जुड़े हुए है। उनकी वजह से ही आरडीगार्डी को कोरोना काल में अनुबंध प्राप्त हुआ था।
आरडी गार्डी और माधवनगर में आयसीयू फुल
कोरोना महामारी ने उज्जैन शहर में जिस प्रकार से करवट लेना शुरू की है, उसे देखते हुए उपचार के साधनों का अभाव सामने आ गया है। रोजाना सिम्प्टोमेटिक मरीजों की बढ़ती संख्या और इनमें भी आयसीयू लायक गंभीर मरीजों की बढ़ती संख्या आने वाले दिनों में हाहाकार मचा सकती है। ताजा उदाहरण आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और शासकीय माधवनगर का है। आज सुबह आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में वार्ड में पलंग खाली थे लेकिन आयसीयू हाउसफुल चल रही थी। हालात यह रहे कि कुछ कोरोना सिम्प्टोमेटिक गंभीर मरीज, जिनको आयसीयू में उपचार की सख्त आवश्यकता थी,आयसीयू से बाहर स्ट्रेचर पर लेटे-लेटे पलंग खाली होने का इंतजार कर रहे थे। उनकी मजबूरी थी कि वे कहीं जा भी नहीं सकते थे। यही स्थिति शा.माधवनगर की थी। आज सुबह यहां पर भी आयसीयू फुल होने के बाद मरीजों को आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज भेजा जाना शुरू कर दिया गया था। इससे मेडिकल कॉलेज में लोड बढ़ गया।मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार कल ठीक होकर गए 9 मरीजों के बाद भी कॉलेज में 88 कोरोना पॉजीटिव मरीज थे, जिनसे आयसीयू फुल थी। वार्ड में पलंग खाली हैं लेकिन आयसीयू में नहीं। यही कारण है कि आयसीयू में भेजे जाने वाले कोरोना पॉजीटिव मरीज भी आयसीयू के बाहर स्ट्रैचर पर लेटे पलंग खाली होने का इंतजार कर रहे थे। यह आरोप भी आया कि शासकीय माधवनगर अस्पताल से आज सुबह से मरीजों को मेडिकल कॉलेज रैफर किया जा रहा है। पूछने पर जवाब मिलता है की हमारे यहां पलंग खाली नहीं है। ऐसे में यदि आज शाम को 30-40 मरीज और पॉजीटिव आ गए तो क्या करेंगे? आयसीयू कहां से लाएंगे?