चिरंतन न्यूज़ के लिए मोड़ी (सुसनेर) से जगदीश परमार

इन दिनों जिले भर सहित क्षेत्र में अधिकतर किसानों की सोयाबीन की फसल में अचानक पत्ते पीले पड़ने लगी है साथ ही पौधे में लगा फल भी सुख रहा है।इस प्रकार सोयाबीन की फसल समय से पूर्व ही सुखकर नष्ट हो रही है। सोयाबीन में व्याप्त इस बीमारी को तना मक्खी कहते हैं। सोयाबीन में तना मक्खी द्वारा प्रभावित तने फाड़कर देखने पर किट का भुरा चुर्ण दिखाई देता है।जो कि पौधे के तनों को नष्ट कर देता है। परिणामस्वरूप पहले पौधे के पते सुखकर पीले पढ़ने लग जाते हैं और धीरे धीरे फल के साथ पौधा भी सुख जाता है। कृषि विज्ञान केन्द्र आगर मालवा द्वारा किसानों को इस तना मक्खी रोधी दवा के छिड़काव हेतु प्रेरित किया जा रहा है। परन्तु अब अधिकतर किसानों की फसल तो हाथ से निकल चुकी है। वह समय रहते इस तना मक्खी रोधी दवा का छिड़काव नहीं कर सके। कहीं ना कहीं इसका असर मालवा के सोना अर्थात सोयाबीन के उत्पादन पर पड़ेगा।
इनका कहना-
इन जिले में अधिकतर सोयाबीन की फसल में तना मक्खी का प्रकोप बढ़ रहा है।इसके नियंत्रण हेतु किसान अपने खेतों में लेम्डासाहीहैलोथ्रीन एवं थायोमिक्जाम का 125 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा लेम्डा साइहेलोथ्रिन एससी 300 मिली प्रति हेक्टेयर या फिर थायकलोप्रिड 21.7 एससी 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए। इससे तना मक्खी का प्रकोप कम होगा और पौधा पुनः स्वस्थ हो जाएगा।
आरपीएस शक्तावत
वरिष्ठ कृर्षि वैज्ञानिक
कृर्षि विज्ञान केन्द्र आगर मालवा