लखनऊ- पारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा सलेम पुर पतौरा सहरौसा जो काकोरी मोड़ से महज एक मील दूरी पर है।अभी दो दिन पहले कुछ मनचलो द्वारा बच्ची के साथ गैंग रेप करके हत्या कर दिया गया था।जिसको पारा पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था।पर पोस्टमार्टम होने तक न तो अपराधियो को पकड़ सकी,न कोई सुराग लगा सकी पर इतना जरूर हुआ की बारह साल बच्ची की बाडी के बदले किसी बीस साल लड़की की बाडी थमा दी।
परिजनो ने जब बाडी पहचान की तो बाडी उस बच्ची की नही किसी और की थी।परिजनो ने इसका विरोध किया तो भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दी गई।भीड़ भी भारी संख्या में मौजूद थी।जब तक वहां मीडिया थी तब तक सब कुछ सामान्य था।मीडिया के हटते ही पुलिस द्वारा परिजनो पर बाडी को मिट्टी करने का दबाव बनाया जाने लगा।जब गाँव वालो ने विरोध किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया।
सबको अपने अपने घरों के अंदर कर दिया।
जबरन पुलिस ने डेड बाडी को उठा कर मिट्टी कर दिया।और मृतक लड़की की मां से जबरन सादे कागजो पर लिखवा लिया।ये आरोप लड़की के परिजनो का है तथा गांव के लोग भी यही आरोप पुलिस पर लगा रहे हैं।सवाल अब ये उठता है कि यदि उसी लड़की की बाडी थी तो घर वालो ने क्यों नही लिया,पुलिस ने पोस्टमार्टम के दौरान बाडी बदलवा दिया इसके पीछे पुलिस की क्या मजबूरी थी,क्या एक साजिश के तहत अपराधी को बचाया जा रहा है।या कुछ लोगो द्वारा दंगा फसाद करवा के राजनीतिक महौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
इस मामले की जांच सही ढंग से करके पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये पुलिस कमिश्नर सूजीत पान्डेय जी को आगे आना चाहिए और अपराध करने वाले दरिंदों को फांसी जैसी सजा दिलवा के पुलिस की साफ सुथरी छवि को धूमिल होने से बचाना चाहिए! यदि ऐसा नही होता है तो गैंग रेप बलात्कार छेड़छाड़ यौन शोशण अपहरण जैसे अपराधिक मामले बढ़ते रहेंगे और अपराधी पुलिस की लचर कार्यवाही की वजह से बेखौफ घूमते रहेंगे।और जितने इमानदार पुलिस,अधिकारी हैं,इनके साथ वो भी बदनाम होते रहेंगे।