नागदा। विगत 2-3 माह से पानी की खराबी से शहर के नागरिक लगातार बिमारियों का शिकार हो रहे है। ग्रीष्म ऋतु के आरंभ के साथ ही शहर में पेयजल संबंधी बिमारियॉं आरंभ हो गई थी। शहर में नगर पालिका द्वारा 17000 परिवारों को पेयजल वितरण किया जाता है जो 60-70 हजार नागरिकों तक सीधे पहुॅंचता है। फिल्टर प्लांट पर पानी साफ करने की प्रक्रिया एवं नपा में सप्लाई की जाने वाली एलम पर नागरिक लगातार उंगली उठा रहे हैं। इतना नहीं विगत कई वर्षो से प्लांट पर फिल्टर मिडिया तक नहीं बदला गया था जिसे अब जाकर बदला गया है, लेकिन गुणवत्ताविहिन एलम तथा फिल्टर प्लांट के पुरी क्षमता से उपयोग नहीं किए जाने के कारण आज भी शहर के कई मोहल्लों में गंदा पानी आ रहा है जिससे पेट, लीवर, कीडनी संबंधी बिमारियॉं लगातार नागरिकों से हो रही है।
बच्चों पर सबसे अधिक हो रहा असर
नपा द्वारा पेयजल के रूप में वितरित किए जा रहे गंदे पानी से सबसे अधिक प्रभावित छोटे बच्चे हो रहे हैं। 5 से 18 वर्ष के बच्चों में लगातार पेट, लीवर एवं किडनी संबंधी बिमारियॉं सामने आ रही है। शहर के इन्दुभाई पारिख मेमोरियल ट्रस्ट हॉस्पिटल एवं अन्य शहरों में नागदा के आज भी दर्जनों मरीज ऐसे भर्ती है जो पेट की खराबी, पीलीया, हैपेटाईटीस जैसी बिमारियों से जुझ रहे है। बावजुद इसके शहर में वितरित किए जा रहे पेयजल की गुणवत्ता में सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।
क्षेत्र के जनप्रतिनिधि मौन ?
शहर में लगातार दुषित पेयजल वितरण होने की शिकायतों के बावजुद क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण जनता की इस परेशानी को दुर करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहे है। विगत एक माह से भी अधिक समय से मिडिया में दुषित पेयजल का मुद्दा छाया हुआ है। नपा की कार्यप्रणाली का आलम यह है कि जिस एलम पर सवालिया निशान लग चुका है उसके सप्लायर को आज तक ब्लेक लिस्टेड नहीं किया गया है। ऐसे में आगामी टेण्डर प्रक्रिया में उक्त सप्लायर फिर हिस्सा ले रहा है तथा गुणवत्ता विहिन एलम को नपा में देने को आतुर है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि ऐसे सप्लायर को तत्काल ब्लेक लिस्टेड किया जाना चाहिए।