कल से चालू होगी बसे
उज्जैन : बस ऑपरेटर एसोसिएशन से जुड़ी 200 से ज्यादा बसें 23 मार्च से बंद हैं। पांच माह से ज्यादा समय से एक जैसी स्थिति में खड़ी बसों की हालत काफी खराब भी हो चुकी है। कई गाड़ियां तो कंडम हो चुकी हैं या होने के कगार पर हैं। इनके मेंटेनेंस और सर्विस के रूप में ही प्रति बस 15 से 20 हजार रुपए खर्च होंगे। वहीं बस संचालन से पहले गैरेज से निकलने में 10 से 15 दिन का समय भी लगेगा। वहीं दूसरी ओर हर बस पर 6 से 10 लाख रुपए टैक्स बकाया हो चुका है।
इसमें टैक्स फाइनेंस की किस्तें और इन किस्तों पर लगने वाला चक्रवृद्धि ब्याज भी शामिल है। शहर में 200 बसें संचालित करने वाले 35 ऑपरेटर चाहते हैं कि टैक्स माफी और किराया बढ़ाने का फैसला हो जाए। क्योंकि कोई भी बस ऑपरेटर अब ऐसी हालत में नहीं है कि बिना टैक्स माफ किए बस संचालित करे। इनके सामने दुविधा है कि बस की मरम्मत कराएं या टैक्स चुकाएं। जिला बस ऑपरेटर एसोसिएशन के सचिव और बस संचालक बताते हैं कि उनकी कई गाड़ियां हैं। इसकी फाइनेंस की किस्तें बाकी हैं और उस पर भी चक्रवृद्धि ब्याज चल रहा है। टैक्स और फायनेंस के लाखों रुपए कर्ज चढ़ गया है। नागर बताते हैं कि कुछ गाड़ियां के तो पहिए जमीन में गड़ गए हैं तथा आसपास घास ही उग चुकी है।
शहर से अप-डाउन करने वाले कई लोगों को परिवहन के साधन नहीं मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महेंद्र गवली उज्जैन में पंजाब नेशनल बैंक में है। उन्होंने बताया कि 150 से 200 का पेट्रोल लग रहा है। बस से अप-डाउन करना सस्ता पड़ता था और आधा किराया लगता था। प्रतिदिन 100 से 150 लोग इंदौर-उज्जैन अप-डाउन करते हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान उज्जैन से इंदौर चलने वाली बसों का हुआ है। इनमें एक उनकी भी बस है जिसमें मकड़ी के जाले लग गए हैं तथा धूल इतनी जम गई है कि उसे गैरेज से निकालने में ही 15 दिन लगेंगे। इसके अलावा फायनेंस, ब्याज और टैक्स का पैसा बकाया है। टैक्स माफी के बिना बसें चालू करने की सोच भी नहीं सकते हैं।
कंडक्टर-हेल्पर की मदद करें या फिर अपने परिवार की इधर बस ऑपरेटर कमल गुर्जर बताते हैं कि फाइनेंस की कुछ अंतिम किस्त बाकी है, लेकिन उसको चुकाने के लाले पड़े हैं। वहीं निर्भय सिंह ने बताया कि उनकी बस ग्रामीण इलाकों में चलती है। इस पर टैक्स और फाइनेंस कर्ज है। बस मालिकों की हालत यह है कि वे कंडक्टर-हेल्पर की मदद करें या फिर अपने परिवार की।